बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं
बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं- गर्भपात (Abortion) के लिए भारत में कानूनी और चिकित्सीय रूप से कुछ दिशानिर्देश और सीमाएं तय की गई हैं। इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट 1971 के तहत नियंत्रित किया जाता है, जिसमें हाल के संशोधन भी शामिल हैं। यहाँ गर्भपात से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है:
1. गर्भपात कराने की कानूनी समय सीमा:
- भारत में, 20 सप्ताह (5 महीने) तक गर्भपात कानूनी है, लेकिन इसे उचित चिकित्सीय कारणों और डॉक्टर की सहमति के आधार पर किया जा सकता है।
- 24 सप्ताह तक कुछ विशेष परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति दी जाती है, जैसे:
- बलात्कार या यौन शोषण के मामलों में।
- नाबालिग महिलाओं के मामले में।
- जब मां की जान को खतरा हो या भ्रूण में गंभीर विकृतियां हों।
- सामाजिक या आर्थिक कारणों के आधार पर।
नोट: 24 सप्ताह से अधिक गर्भ का गर्भपात कराने के लिए कोर्ट की अनुमति आवश्यक है।
2. गर्भपात के प्रकार (Types of Abortion):
गर्भ के समय और स्थिति के आधार पर गर्भपात के दो तरीके हैं:
(A) दवाइयों द्वारा (Medical Abortion):
- 9 सप्ताह (63 दिन) तक का गर्भ दवाइयों से गिराया जा सकता है।
- इसमें गर्भपात की गोलियां (मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल) दी जाती हैं।
- इसे डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
- दवाइयों के कारण हल्का खून आना, पेट दर्द और कमजोरी हो सकती है।
(B) सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा (Surgical Abortion):
- 9 सप्ताह से लेकर 20-24 सप्ताह तक के गर्भ के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।
- इसमें मुख्यतः दो प्रक्रियाएं शामिल हैं:
- (i) वैक्यूम एस्पिरेशन (Vacuum Aspiration): 12 सप्ताह तक के गर्भ में उपयोग।
- (ii) डाइलेशन एंड इवैक्यूएशन (D&E): 12-24 सप्ताह तक के गर्भ में उपयोग।
3. किन परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति है?
गर्भपात तभी किया जा सकता है जब:
- गर्भवती महिला की जान को खतरा हो।
- भ्रूण में गंभीर विकृतियां हों।
- गर्भ महिला की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा हो।
- अवांछित गर्भ (जैसे बलात्कार या यौन शोषण का मामला)।
- गर्भधारण नाबालिग या मानसिक रूप से अस्थिर महिला द्वारा हुआ हो।
4. डॉक्टर की भूमिका और सहमति:
- 20 सप्ताह तक: एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की सहमति जरूरी है।
- 20 से 24 सप्ताह तक: दो डॉक्टरों की सहमति आवश्यक है।
- 24 सप्ताह से अधिक समय के गर्भ के लिए कोर्ट की अनुमति चाहिए।
5. गर्भपात कराने से पहले और बाद में ध्यान देने योग्य बातें:
(A) गर्भपात से पहले:
- अल्ट्रासाउंड और अन्य चिकित्सीय जांच कराएं।
- डॉक्टर से सही तरीके और दवाइयों के बारे में जानकारी लें।
- स्वास्थ समस्याओं (जैसे डायबिटीज, एनीमिया) की जानकारी डॉक्टर को दें।
(B) गर्भपात के बाद:
- संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करें।
- अत्यधिक खून बहने, बुखार, या पेट में असामान्य दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें।
6. गर्भपात से जुड़े जोखिम (Risks of Abortion):
- अत्यधिक खून बहना (Bleeding)।
- संक्रमण या बुखार।
- भविष्य में गर्भधारण में समस्या (दुर्लभ मामलों में)।
- भावनात्मक तनाव या मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव।
7. कानूनी और सामाजिक पहलू:
- महिला की निजता (Privacy) का पूरा ध्यान रखा जाता है।
- अवैध रूप से या अनट्रेंड लोगों द्वारा गर्भपात कराना गंभीर खतरे पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष:
गर्भपात एक संवेदनशील प्रक्रिया है जो कानूनी, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से जुड़ी है। इसे केवल योग्य डॉक्टर की देखरेख में कराना चाहिए। किसी भी निर्णय से पहले पूरी जानकारी और मेडिकल सलाह जरूर लें।
महत्वपूर्ण: गर्भपात से जुड़े किसी भी सवाल या चिंता के लिए अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें।