कौन सबसे बड़ा दानी? (कृष्णा और अर्जुन) Short Story in Hindi


कौन सबसे बड़ा दानी? (कृष्णा और अर्जुन) Short Story in Hindi of Krishna and Arjuna

Inspirational Story of Krishna and Arjuna in Hindi. कौन सबसे बड़ा दानी? (कृष्णा और अर्जुन) Short Story in Hindi of Krishna and Arjuna.

Inspirational Story of Krishna and Arjuna in Hindi

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एक बार कृष्ण और अर्जुन कहीं जा रहे थे,

तभी बातों बातों में अर्जुन ने कृष्ण से कहा कि क्यों कर्ण को दानवीर कहा जाता है और उन्हें नहीं। जबकि दान हम भी बहुत करते हैं।

यह सुन कर कृष्ण ने दो पर्वतों को सोने में बदल दिया,

और अर्जुन से कहा कि वे उनका सारा सोना गाँव वालो के बीच बाट दें ।

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तब अर्जुन गाँव गए और सारे लोगों से कहा कि वे पर्वत के पास जमा हो जाएं क्योंकि वे सोना बांटने जा रहे हैं,

यह सुन गाँव वालो ने अर्जुन की जय जयकार करनी शुरू कर दी और अर्जुन छाती चौड़ी कर पर्वत की तरफ चल दिए।

दो दिन और दो रातों तक अर्जुन ने सोने के पर्वतों को खोदा और सोना गाँव वालो में बांटा । पर पर्वत पर कोई असर नहीं हुआ।

इसी बीच बहुत से गाँव वाले फिर से कतार में खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतज़ार करने लगे। अर्जुन अब थक चुके थे लेकिन अपने अहंकार को नहीं छोड़ रहे थे।


उन्होंने कृष्ण से कहा कि अब वे थोड़ा आराम करना चाहते हैं और इसके बिना वे खुदाई नहीं कर सकेंगे ।

तब कृष्ण ने कर्ण को बुलाया और कहा कि सोने के पर्वतों को इन गाँव वालों के बीच में बाट दें।

कर्ण ने सारे गाँव वालों को बुलाया और कहा कि ये दोनों सोने के पर्वत उनके ही हैं और वे आ कर सोना प्राप्त कर लें । आैर एेसा कहकर वह वहां से चले गए।।

अर्जुन भौंचक्के रह गए और सोचने लगे कि यह ख्याल उनके दिमाग में क्यों नहीं आया।

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तब कृष्ण मुस्कुराये और अर्जुन से बोले कि तुम्हें सोने से मोह हो गया था

और तुम गाँव वालो को उतना ही सोना दे रहे थे जितना तुम्हें लगता था कि उन्हें जरुरत है। इसलिए सोने को दान में कितना देना है इसका आकार तुम तय कर रहे थे।

लेकिन कर्ण ने इस तरह से नहीं सोचा और दान देने के बाद कर्ण वहां से दूर चले गए । वे नहीं चाहते थे कि कोई उनकी प्रशंसा करे और ना ही उन्हें इस बात से कोई फर्क पड़ता था कि कोई उनके पीछे उनके बारे में क्या बोलता है।


निष्कर्ष (Conclusion of this story)

यह उस व्यक्ति की निशानी है जिसे आत्मज्ञान हासिल हो चुका है। दान देने के बदले में धन्यवाद या बधाई की उम्मीद करना उपहार नहीं सौदा कहलाता है।

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