बारिश के पानी के फ़ायदे (जल चिकित्सा)

Rain water on leave.
बारिश का पानी न केवल पीने के लिए सर्वोत्तम है, बल्कि औषधीय गुणों से युक्त है। व जल में सोम रस अन्य समान रस मिलाकर पीने से व्यक्ति दीर्घायु और तेजस्वी होता है।

बारिश के पानी के फ़ायदे: जल तव्चा की कांति और शरीर के सौंदर्य में वृद्धि करता है। यह पैरों तथा आखों के सभी रोगों को दूर करता है। सभी प्रकार के रोग जल चिकित्सा द्वारा दूर किए जा सकते हैं। अथर्ववेद में कहा गया है कि जल स्वयं एक औषधि है। जलोत्पन्न हर वस्तु औषधि समान प्रभाव रखती है।

बारिश के पानी के फ़ायदे

 जल चिकित्सा से कटे व जले अंग व घाव ठीक हो जाते हैं। आधुनिक चिकित्सा शास्त्रियों के अनुसार जले अंगों पर शीतल जल डालना चाहिए। घावों को परिष्कृत जल से धोने पर लाभ मिलता है। पीड़ित अंग की जल चिकित्सा करने के लिए उसे शुद्ध पानी से अच्छी तरह धोएं या पानी में पीड़ित अंग को डुबो दें। पीड़ित अंग पर जल छिड़काव करें। इस प्रयोग से अंग रोग मुक्त होता है।

जल से भरे टब में नहाने से शरीर के रोगी अंग ठीक होते हैं। जल का शरीर के पीड़ित अंग पर लगातार धीमा धीमा शुभ प्रभाव होता है।

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अपच या अजीर्णता को ठीक करने के लिए शरीर के नाभि से जांघों तक के भाग को ताजे पानी में डुबो दें।

जल में बैठे-बैठे शरीर के इस भाग को स्वच्छ कपड़े से रगड़ें। इससे कब्ज दूर होती है। पेट की अन्य समस्याएं भी दूर होती हैं। अवरुद्ध रक्त संचार के कारण होने वाली सभी प्रकार की बीमारियां भी दूर होती हैं। 

जल चिकित्सा

तीव्र ज्वर से पीड़ित व्यक्ति के माथे पर ठंडे पानी से भिगोया कपड़ा रखने से ज्वर तेजी से उतरता है। रोगी शीघ्र चंगा हो जाता है।

सोने से पहले पैरों के पंजे ठंडे पानी से धोने से रात को बुरे सपने नहीं आते। लिंग या योनि को ठंडे जल से धोने से
स्वप्नदोष आदि से छुटकारा मिलता है।

जो लोग रोज स्नान करते हैं, उन्हें त्वचा का रोग कम होता है।

लाल फिटकरी पर स्वच्छ जल डालकर तैयार किया। लोशन आंखों के सभी रोगों में लाभ पहुंचाता है।

रुई समान बर्फ को गुड़ में मिलाकर खाने से पेट के सभी कीड़े मर जाते हैं।

अगर किसी व्यक्ति को बिच्छू काट ले, तो पीड़ित अंग पर लगातार पानी डालें आराम मिलता है।

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वर्षा जल में नहाने से सभी प्रकार के त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है। यह सौर देशों और चुभती घमौरियों को ठीक करता है।

समुद्र के खारे पानी में नहाने से त्वचा के सभी रोग ठीक होते हैं। यह रक्त संचार को दुरुस्त करता है तथा पाचन शक्ति को बढ़ाता है।

रोज कम से कम दो लीटर पानी पीने से बहुत से रोग दूर होते हैं। जल हमारे शरीर में मौजूद विपैले तत्वों को घोल लेता है तथा मूत्र व पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकालता है। कब्ज व पेट संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं।

पेय जल को पीने से पहले रंगीन कांच की बोतलों में रखने से रंग विशेष की मात्रा बढ़ायी जा सकती है। इस सिद्धांत का रंग चिकित्सा और सौर किरण-चिकित्सा में खूब प्रयोग होता है।

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