हम कौन हैं? और कहां से आए हैं? [Mystery of Human Race]

हम मनुष्यों का क्या रहष्य है?
बस एक सवाल हमें आज भी सताती है कि हम कौन हैं? और कहां से आए हैं? Mystery of Human Race. हमें किसने बनाया है. इस सवाल का जवाब देने के लिए हमें अपने इतिहास में झांकना होगा।
जो बिना समय यात्रा के संभव नहीं है। ऐसे में हम केवल संभावनाएं तलाश सकते हैं। इस सवाल का जवाब देने के लिए कई थ्योरी दिए गए। जिनमें सबसे प्रचलित और माननीय थ्योरी है चार्ल्स डार्विन की Theory of Evolution। इसके अनुसार पृथ्वी पर मौजूद हर सजीव वस्तु चाहे वह जानवर हो या पौधे का आधार एक है, और सभी इसी पृथ्वी से विकसित हुए हैं।
समय के साथ जेनेटिक बदलाव के हिसाब से प्राणियों ने जटिल रूप अख्तियार किया। और मनुष्य आज सबसे जटिल प्राणी है। यह थ्योरी भी हमारे सभी प्रश्नों का उत्तर नहीं देती। जैसे अगर हम बंदरों से विकसित हुए हैं तो बंदर आज भी बंदर क्यों हैं। वह विकसित क्यों नहीं हुए। ऐसे कई और सवाल है जिसका जवाब डार्विन की थ्योरी के पास नहीं है।
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यूं तो मनुष्य के evolution के बारे में थ्योरी यह बताती है कि मनुष्य इस धरती पर कैसे विकसित हुए पर इस वेबसाइट पर हम डॉक्टर Annie Sawyer की थ्योरी पर बात करेंगे। जिसके अनुसार हम मनुष्य इस धरती के मूल निवासी नहीं है। बल्कि कहीं बाहर से एलियंस के द्वारा लाए गए हैं।
Doctor Annie Sawyer
डॉक्टर Annie Sawyer मानते हैं कि पृथ्वी हम इंसानों का प्राकृतिक घर नहीं है। इसके पीछे उनके कई तर्क हैं जैसे हम मनुष्य तेज रोशनी में देख नहीं पाते। चाहे वह सूर्य की हो या किसी कृत्रिम बल्ब की उदाहरण के तौर पर मान लीजिए। आप गाड़ी चला रहे हैं और सूर्य की चकाचौंध रोशनी आपकी आंखों पर पड़ रही है। तो कुछ ही समय में आपके सामने अंधेरा छा जाएगा और आप गाड़ी नहीं चला पाएंगे। पर उसी समय आप देखेंगे कि पक्षी उसी प्रकाश में आनंदपूर्वक उड़ रहे हैं। यानी कि यह प्रकाश उनके लिए कोई परेशानी की वजह नहीं बनता.
यही पृथ्वी के नियम अन्य प्राणियों पर भी लागू होता है. क्योंकि हर जीव के इस पृथ्वी पर रहने के कारण उन्होंने खुद को इस वातावरण में डाल लिया है. हम ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि हम यहां विकसित ही नहीं हुए हैं. शायद हम किसी ऐसे ग्रह से आए हैं. जहां प्रकाश इतना ज्यादा ना आता हो.
सूर्य का प्रकाश ठंड के दिनों में हमें धूप सेकना अच्छा लगता है. पर अगर हमसे कहा जाए कि साल के सारे दिन धूप में ही गुजार हो तो हम नहीं कर पाएंगे ऐसा इसलिए है कि हमारे शरीर को धूप की गर्मी से बचाने के लिए बाल मौजूद नहीं होते. यह अजीब है क्योंकि पृथ्वी के लगभग सभी प्राणी जो जमीन पर रहते हैं उनके शरीर पर बड़े बाल होते हैं. हाथी और गैंडे जैसे कुछ जानवर को अगर छोड़ दिया जाए. पर उन्होंने भी समय के साथ खुद को ढाल लिया है. क्योंकि उनकी चमड़ी मोटी होती है. जबकि हमारे साथ ऐसा कुछ भी नहीं है.
डार्विन की थ्योरी
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Picture Credit: Darvin |
डार्विन की थ्योरी के अनुसार हर जीव अपने वातावरण के अनुसार विकसित होता रहा है. अगर ऐसा है और हम बंदरों से विकसित हुए हैं. तो हमारे शरीर पर भी बाल होने चाहिए थे. क्योंकि यह हमारे लिए फायदेमंद होता. एक कारण जो समझ में आता है.
पीठ दर्द लगभग सभी इंसानों को कभी ना कभी सताता ही है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह पृथ्वी के किसी और प्राणी के साथ नहीं होता. क्योंकि हम पृथ्वी पर आसानी से सांस ले पाते हैं. एटमोस्फियरिक प्रेशर इसका कारण नहीं हो सकता. ऐसे में लगता है मानो पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण हमारे पिछले ग्रह से थोड़ा कम है. जहां से हम आए हैं. या लाए गए हैं. मनुष्यों के बच्चों का सिर और आकार कितना बड़ा होता है. कई बार जन्म देते समय मां और बच्चे दोनों की मौत हो जाती है. ऐसा पृथ्वी के किसी भी दूसरे प्राणी के साथ नहीं होता.
Doctor Annie Sawyer की माने तो ऐसा इसलिए होता है. क्योंकि पृथ्वी का भोजन हमारे लिए ज्यादा ऊर्जा वर्धक होता है जिसके कारण मां के गर्भ में शिशु जरूरत से ज्यादा बड़ा हो जाता है.
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