उपसर्ग किसे कहते है, परिभाषा | Upsarg in hindi

उपसर्ग किसे कहते हैं

उपसर्ग का अर्थ और परिभाषा

संस्कृत, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में ‘उपसर्ग’ का विशेष महत्व है। ‘उपसर्ग’ शब्द संस्कृत के दो शब्दों ‘उप’ (समीप या पास) और ‘सर्ग’ (सृजन या जोड़ना) से मिलकर बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है – ‘शब्द के पास जुड़ने वाला’।
“वे शब्दांश जो मूल शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता, परिवर्तन या विस्तार लाते हैं, उन्हें ‘उपसर्ग’ कहते हैं।”

उदाहरण:

  • ‘प्रकृति’ में ‘प्र’ उपसर्ग है।
  • ‘असफल’ में ‘अ’ उपसर्ग है।

उपसर्ग की विशेषताएँ

  • शब्द के पहले जुड़ते हैं: उपसर्ग हमेशा शब्द के पहले आते हैं।
  • स्वतंत्र अर्थ नहीं होता: उपसर्ग का कोई स्वतंत्र अर्थ नहीं होता।
  • शब्द का अर्थ बदलते हैं: उपसर्ग किसी शब्द का अर्थ पूर्ण रूप से बदल सकते हैं।
  • नए शब्द निर्माण: उपसर्ग शब्द के अर्थ में विस्तार या विशेषता लाते हैं।
  • व्याकरणिक संरचना: उपसर्ग किसी भी शब्द की व्याकरणिक संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।

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उपसर्ग के प्रकार

हिंदी में उपसर्ग मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं:

संस्कृत उपसर्ग

संस्कृत भाषा से आए उपसर्ग हिंदी में प्रचलित हैं।

  • उदाहरण:
    • प्र: प्रगति, प्रचार
    • अ: असत्य, अनुकूल
    • वि: विरोध, विशेष

हिंदी के उपसर्ग

कुछ उपसर्ग हिंदी भाषा में स्वाभाविक रूप से विकसित हुए हैं।

  • उदाहरण:
    • बिना: बिना पानी, बिना सोच
    • हर: हर दिन, हर तरह
    • बे: बेकार, बेहोश

उर्दू/फारसी उपसर्ग

फारसी और उर्दू से कुछ उपसर्ग हिंदी में आए हैं।

  • उदाहरण:
    • ना: नाकाम, नापसंद
    • बद: बदहाल, बदमाश
    • ला: लापरवाह, लाचार

अंग्रेज़ी उपसर्ग

आधुनिक हिंदी में अंग्रेज़ी के कुछ उपसर्गों का प्रयोग बढ़ा है।

  • उदाहरण:
    • रि (Re): रिफॉर्म, रिटर्न
    • अन (Un): अनलिमिटेड, अनफेयर

उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर

उपसर्ग प्रत्यय
उपसर्ग शब्द के पहले जुड़ते हैं। प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ते हैं।
उपसर्ग का स्वतंत्र अर्थ नहीं होता। प्रत्यय का स्वतंत्र अर्थ नहीं होता।
उपसर्ग शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर सकते हैं। प्रत्यय से शब्द का अर्थ और वर्ग बदल जाता है।
उदाहरण: ‘अन्याय’ में ‘अन’ उपसर्ग है। उदाहरण: ‘शिक्षक’ में ‘क’ प्रत्यय है।

उपसर्ग के उपयोग के लाभ

  • शब्दावली का विस्तार: उपसर्ग नए शब्दों का निर्माण करते हैं।
  • अर्थ में विविधता: उपसर्ग शब्दों में विभिन्न अर्थ जोड़ते हैं।
  • व्याकरणिक स्पष्टता: वाक्य में उपसर्ग के प्रयोग से अर्थ स्पष्ट होता है।
  • भाषा में सुंदरता: उपसर्ग से भाषा में काव्यात्मक और साहित्यिक सुंदरता आती है।

उपसर्ग के उदाहरण

  • अ: असत्य, अज्ञान, अयोग्य
  • प्र: प्रचार, प्रगति, प्रदान
  • वि: विरोध, विकल्प, विशेष
  • निर: निरीक्षण, निराशा, निर्दोष
  • स: सहयोग, सम्मान, संस्कार

उपसर्ग के प्रयोग के नियम

  1. सटीकता: उपसर्ग का प्रयोग शब्द के अर्थ को सटीक बनाने के लिए किया जाना चाहिए।
  2. अर्थ का ज्ञान: उपसर्ग का प्रयोग करते समय उसके सही अर्थ का ज्ञान आवश्यक है।
  3. वाक्य में उचित प्रयोग: उपसर्ग का प्रयोग वाक्य में अर्थ के अनुरूप होना चाहिए।

उदाहरण:

  • “प्रकाश” में ‘प्र’ उपसर्ग अर्थ को विशेष बना रहा है।
  • “निराशा” में ‘निर’ उपसर्ग नकारात्मकता को दर्शा रहा है।

उपसर्ग का भाषाई महत्व

  • उपसर्ग भाषा को समृद्ध बनाते हैं।
  • यह वाक्य में स्पष्टता और प्रभावशाली संप्रेषण को बढ़ाते हैं।
  • उपसर्ग के माध्यम से भावनाओं और विचारों को सरलता से व्यक्त किया जा सकता है।
  • हिंदी साहित्य, कविता, और लेखन में उपसर्ग का बहुत योगदान है।

उपसर्ग से बनने वाले सामान्य शब्द

  1. अ: अज्ञानी, अयोग्य, अमर
  2. अन: अनदेखा, अनमोल, अनिश्चित
  3. प्र: प्रचार, प्रक्रिया, प्रभाव
  4. वि: विकल्प, विरोध, विशेष
  5. स: सहयोग, संयम, संस्कार
  6. निर: निराशा, निरीक्षण, निर्दोष

निष्कर्ष

उपसर्ग भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शब्दों में अर्थ की गहराई और विस्तार लाने में सहायक होता है। इसके सही उपयोग से हम अपनी भाषा को और प्रभावशाली बना सकते हैं। हिंदी भाषा में उपसर्गों का महत्व केवल शब्द निर्माण तक सीमित नहीं, बल्कि यह भाषा की सुंदरता और व्याकरणिक सटीकता का भी परिचायक है।

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हमें उपसर्गों के सही उपयोग को समझकर अपनी भाषा और लेखन को और अधिक प्रभावी और अर्थपूर्ण बनाना चाहिए।

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