Virodh ka paryayvachi: विरोध का पर्यायवाची, अर्थ, परिभाषा

विरोध के 15 पर्यायवाची शब्द

virodh ka paryayvachi – विरोध का अर्थ होता है किसी चीज़ का प्रतिकार, असहमति, या प्रतिवाद। इसके 15 पर्यायवाची शब्द निम्नलिखित हैं:

  1. विरोधाभास
  2. प्रतिवाद
  3. असहमति
  4. विद्रोह
  5. प्रतिरोध
  6. बाधा
  7. मतभेद
  8. आपत्ति
  9. टकराव
  10. संघर्ष
  11. चुनौती
  12. प्रतिकूलता
  13. विरोधी
  14. नकार
  15. निषेध

विरोध का विस्तार से विवरण

विरोध का अर्थ:
विरोध का अर्थ होता है किसी विचार, वस्तु, या कार्य के प्रति असहमति प्रकट करना। यह व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनीतिक, या सांस्कृतिक स्तर पर हो सकता है। विरोध में सकारात्मक (रचनात्मक आलोचना) और नकारात्मक (विनाशकारी) दृष्टिकोण हो सकते हैं। virodh ka paryayvachi

विरोध के प्रकार:

  1. वैचारिक विरोध: किसी विचारधारा से असहमति।
  2. राजनीतिक विरोध: सरकार या नीति के खिलाफ।
  3. सामाजिक विरोध: सामाजिक मुद्दों पर असहमति।
  4. व्यक्तिगत विरोध: व्यक्तिगत मतभेद।

महत्व:

  • लोकतंत्र का आधार: विरोध व्यक्त करना किसी भी लोकतांत्रिक समाज का मुख्य अंग है।
  • परिवर्तन का माध्यम: समाज में सुधार लाने के लिए विरोध आवश्यक है।
  • अधिकारों की रक्षा: यह नागरिकों को उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करता है।

FAQs (Frequently Asked Questions)

  1. प्रश्न: विरोध और विद्रोह में क्या अंतर है?
    उत्तर:
    विरोध किसी विचार या कार्य के प्रति असहमति को दर्शाता है, जबकि विद्रोह एक सक्रिय और हिंसक रूप हो सकता है, जिसमें किसी सत्ता या व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का प्रयास किया जाता है। virodh ka paryayvachi
  2. प्रश्न: विरोध का सकारात्मक पहलू क्या है?
    उत्तर:
    सकारात्मक विरोध से समाज में सुधार और बदलाव आते हैं। यह किसी नीति, विचार, या अन्याय के खिलाफ एक रचनात्मक प्रतिक्रिया हो सकता है।
  3. प्रश्न: विरोध क्यों आवश्यक है?
    उत्तर:
    यह समाज में स्वतंत्रता, समानता, और न्याय सुनिश्चित करने का एक तरीका है। यह अन्याय और अत्याचार को रोकने में मदद करता है।
  4. प्रश्न: विरोध कैसे व्यक्त किया जा सकता है?
    उत्तर:
    विरोध को शब्दों (वक्ता, लेखन), शांतिपूर्ण रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों, और लोकतांत्रिक माध्यमों से व्यक्त किया जा सकता है।
  5. प्रश्न: क्या विरोध हमेशा नकारात्मक होता है?
    उत्तर:
    नहीं, विरोध हमेशा नकारात्मक नहीं होता। रचनात्मक विरोध से समाज और देश का विकास हो सकता है। virodh ka paryayvachi

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