विशेषण: परिभाषा, प्रकार
विशेषण क्या है?
विशेषण वह शब्द है जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता, गुण, दोष, संख्या, परिमाण या अवस्था को प्रकट करता है। सरल शब्दों में, विशेषण ऐसे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं।
उदाहरण:
- सुंदर लड़की (यहाँ ‘सुंदर’ विशेषण है, जो लड़की की विशेषता बता रहा है)।
- पाँच छात्र (यहाँ ‘पाँच’ विशेषण है, जो संख्या बता रहा है)।
विशेषण की परिभाषा
“वे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं।”
उदाहरण:
- बड़ा घर (विशेषण: बड़ा)
- हरा पत्ता (विशेषण: हरा)
- दस किताबें (विशेषण: दस)
विशेषण के प्रकार
विशेषण को उनके प्रयोग और अर्थ के आधार पर विभिन्न प्रकारों में बाँटा गया है। नीचे विशेषण के मुख्य प्रकारों का विवरण दिया गया है:
गुणवाचक विशेषण
जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रूप, रंग, आकार, धर्म, या स्वभाव को व्यक्त करते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- होशियार लड़का
- सुंदर फूल
- काला घोड़ा
विशेषताएँ:
- ये संज्ञा या सर्वनाम के गुण को बताते हैं।
- ‘कैसा’ प्रश्न का उत्तर देते हैं।
संख्यावाचक विशेषण
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या क्रम को प्रकट करते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
संख्यावाचक विशेषण के प्रकार:
- निश्चित संख्यावाचक विशेषण:
- जो निश्चित संख्या बताते हैं।
- उदाहरण: चार आदमी, पाँच लड़कियाँ
- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण:
- जो संख्या को अनिश्चित रूप में बताते हैं।
- उदाहरण: कुछ लोग, कई पक्षी
- क्रमवाचक संख्यावाचक विशेषण:
- जो क्रम या स्थिति बताते हैं।
- उदाहरण: पहला स्थान, तीसरी पंक्ति
परिमाणवाचक विशेषण
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा, परिमाण या सीमा को प्रकट करते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- थोड़ा पानी
- अधिक भोजन
- पर्याप्त संसाधन
विशेषताएँ:
- ये ‘कितना’ प्रश्न का उत्तर देते हैं।
- परिमाणवाचक विशेषण का प्रयोग अमूर्त संज्ञा के साथ होता है।
संबंधवाचक विशेषण
जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम का किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम से संबंध प्रकट करते हैं, उन्हें संबंधवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- पिता का घर
- मेरी किताब
- गुरु का ज्ञान
विशेषताएँ:
- ये दो संज्ञाओं के बीच संबंध प्रकट करते हैं।
सार्वनामिक विशेषण
जो विशेषण सर्वनाम के रूप में कार्य करते हुए किसी संज्ञा की विशेषता बताते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- यह पुस्तक मेरी है।
- वह आदमी ईमानदार है।
- कौन सा रास्ता सही है?
विशेषताएँ:
- ये संज्ञा की विशेषता बताते हैं।
- ‘यह’, ‘वह’, ‘कौन’, ‘कैसा’ जैसे शब्द प्रयोग होते हैं।
निश्चयवाचक विशेषण
जो विशेषण किसी वस्तु, व्यक्ति, या स्थान को निश्चित रूप से दर्शाते हैं, उन्हें निश्चयवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- यही रास्ता सही है।
- वही लड़का मेरा दोस्त है।
विशेषताएँ:
- ये निश्चय या पक्का अर्थ प्रकट करते हैं।
अनिश्चयवाचक विशेषण
जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम के बारे में अनिश्चितता प्रकट करते हैं, उन्हें अनिश्चयवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- कोई व्यक्ति
- कुछ लोग
- किसी ने बताया
विशेषताएँ:
- ये अनिश्चितता को दर्शाते हैं।
प्रश्नवाचक विशेषण
जो विशेषण प्रश्न पूछने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयोग किए जाते हैं, उन्हें प्रश्नवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण:
- कौन सा रास्ता सही है?
- कितना समय लगेगा?
- किसकी किताब है?
विशेषताएँ:
- ये प्रश्नवाचक शब्दों से बनते हैं।
विशेषण और संज्ञा में अंतर
विशेषण | संज्ञा |
---|---|
यह विशेषता बताता है। | यह नाम बताता है। |
‘कैसा’, ‘कितना’, ‘कौन’ प्रश्न के उत्तर देता है। | ‘क्या’ प्रश्न का उत्तर देता है। |
उदाहरण: सुंदर फूल | उदाहरण: फूल |
विशेषण के प्रयोग के नियम
- विशेषण हमेशा संज्ञा या सर्वनाम के पहले या बाद में प्रयोग होता है।
- विशेषण का प्रयोग विशेषता, परिमाण, संख्या आदि को दर्शाने के लिए किया जाता है।
- वाक्य में विशेषण का सही स्थान व अर्थ स्पष्ट होना चाहिए।
उदाहरण:
- अच्छा आदमी (सही)
- आदमी अच्छा (गलत)
विशेषण के महत्व
- विशेषण वाक्य को अधिक अर्थपूर्ण बनाते हैं।
- ये संज्ञा और सर्वनाम की विशेषताएँ बताते हैं।
- इनके बिना वाक्य अधूरे और अस्पष्ट हो सकते हैं।
उदाहरण:
- लड़का (संज्ञा)
- होशियार लड़का (विशेषण के साथ संज्ञा अधिक स्पष्ट)
निष्कर्ष
विशेषण हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये न केवल संज्ञा और सर्वनाम को स्पष्ट करते हैं, बल्कि वाक्य को अधिक सार्थक और रोचक भी बनाते हैं। विशेषण के विभिन्न प्रकारों को समझकर वाक्य-निर्माण में उनका सही प्रयोग करना आवश्यक है।